Tuesday, May 6, 2008

....the thought for the day

ONE WHO CREATES THE OPPORTUNITY IS BRILLIANT,
ONE WHO GETS THE OPPORTUNITY IS LUCKY,
ONE WHO CAPITALIZES ON THE OPPORTUNITY IS THE WINNER.

यदि भगवन सर्वत्र है

एक तपस्वी अपने शिष्यों को बार बार कहता था,"कण कण मे भगवन हैं। ऐसे कोई वस्तु और स्थान नही जहाँ भगवन न हो । अत प्रत्येक वस्तु को भगवन मान कर उसे नमन करना चाहिए। " यह उसकी शिक्षा का निचोड़ था ।
एक दिन उसका एक शिष्य हाट से हो कर कहीं जा रहा था कि रस्ते मे सामने से एकहाथी तीव्र गति से दोड़ता हुआ आया। महावत लगातार चिला रहा था,"हट जाओ ,हट जाओ । हाथी पागल हो गया है । "शिष्य को गुरु का कथन याद आया । वह वहीं खड़ा रहा । "मेरी तरह हाथी मे भी भगवन का वास है। भगवान को भगवान से कैसा डर !" उसने सोचा और पूर्ण भक्ति और प्रेम भाव से रस्ते के बीच डटा रहा। यह देख कर महावत जोर से चिलाया ,"हट जाओ !क्यों मरने पर तुले हो!" पर शिष्य अपनी जगह से एक उंगल भी इधर उधर नही हुआ । पागल हाथी ने उसे सूंड मे लपेटा और घुमा कर नाली मे फेंक दिया । बेचारा घायल शिष्य नाली मे पड़ा कराहता रहा । पर उसे अधिक पीड़ा इस बात की थी कि भगवान ने भगवान को क्यों मारा ! उसके सहपाठी उसे उठा कर आश्रम मे ले गए । उसने गुरु से कहा ,"आप तो कहते हैं कि प्रत्येक वस्तु मे भगवान है !देखो ,हाथी ने मेरी कैसी दुर्गति की है!"
गुरु ने कहा,"यह ठीक है कि प्रत्येक वस्तु मे भगवान है । निश्चित ही
हाथी मे भी भगवान का वास है । पर महावत मे भी तो भगवान है । तुमने उसकी बात क्यों नही सुनी?"