Tuesday, August 19, 2008

पूर्व और दक्षिण दिशा की ओर सिर रख कर क्यों सोएं

प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सदैव उतर की ओर पैर कर के सोना चाहिए । सोते समय सिर दक्षिण की ओर होना चाहिए । विज्ञानं ने पृथ्वी को एक बड़ा चुम्बक मन है । जिसके दो ध्रुव हैं । एक उतर ओर एक दक्षिण । चुम्बक की बल रेखाएं उतर मे दक्षिण की ओर गमन करती हैं ,अत उतर की ओर पैर कर के सोने से उनका अनुकूल प्रभाव हमारे शरीर पर बहने वाले रक्त पर पड़ता हैजिससे शरीर व्याधि मुक्त रहता है । ओर दुस्वपन भी नही आते ।वैसे हमारे यहाँ मृत्यु के बाद शव को उतर की ओर सिर कर के लिटाया जाता है । मह्रिषी दयानंद सरस्वती का तो संस्कार विधि मे लेख भी है की मृतक की अंत्येष्टि कर्म के समय सिर उतर ध्रुव की ओर ही रखें । क्योकी हमारे शरीर का एक सूक्ष्म प्रांनी मस्तिष्क मे भी होता है । दैहिक मृत्यु के पश्चात् भी वह प्राणकुछ समय तक मस्तिष्क मे ही रहते हैं । उतर की ओर सिर करके शव को लिटाने मे वह प्राण शीघ्र ही निकल जाता है । कई डोक्टोर्स ,फिसिओलोगिस्ट ,के अनुसार पृथ्वी के चुम्बकीय शेत्र के मनुष्यों के स्वभाव पर भी असर पड़ता है । उतर दिशा की ओर सिर रख के सोने से प्रमुख तरंगे दब जाती हैं .तथा उत्साह विहीनता, बैचनी ,ओर सामान्य सुस्ती पैदा हो जाती है । इसके विपरीत जब हम पूर्व दिशा की ओर सिर कर के सोते हैं तो अतिशय शान्ति ,सजगता ,ओर सव्स्तथा का अनुभव होता है ।

1 comment:

Unknown said...

MANISHA AUNTY I AM JAINEESH I LIKED UR LOKKATHAS