Friday, April 11, 2008

एक , दो , तीन

एक समृद्ध और शक्तिशाली राजा था। उसे विश्वास था कि दुनिया मे उससे अधिक शक्तिशाली कोई नही है । पर इस बारे मे उसने किसीसे बात नही की । एकदिन उसे यह जानने कि उत्सुकता हुई कि देखें , उसके मन कि बात दूसरे लोग भी जान सकते है या नही । यह सोच कर उसने अपने तमाम दरबारियों और करमचारियों को इकठ्ठा किया और उनसे यह बुझने को कहा कि उसके मन मे क्या है । बहुतों ने माथा लड़ाया , पर कोई भी उसे संतुष्ट नही कर सका।
तब राजा ने दीवान को आदेश दिया कि वह एक महीने मे ऐसे मेधावान आदमी को दूंड ले आए जो उसके विचार का अनुमान लगा सके । दीवान ने हर जगह तलाश किया, पर व्यर्थ । महीना ख़त्म होने को था, पर कोई नतीजा नही निकला । वह बिल्कुल निराश हो गया । पर उसकी एक्लोती बेटी ने उसे यह कह कर चिंतामुक्त कर दिया कि वह उसे सही आदमी दूंद देगी । दीवान ने कहा,"ठीक है, देखूं , तुम क्या कर सकती हो! "
नियत दिन दीवान की बेटी ने एक गड़रिया को पिता के सामने खड़ा कर दिया । वह उनके यहाँ नौकर था। दीवान भोचका रह गया । पर बेटी ने जोर दे कर कहा कि यह bhondu गड़रिया उनकी सारी परेशानियाँ दूर कर देगा । और कोई चारा न देख कर दीवान गड़रिया को दरबार मे ले गया ।
राजा दरबार मे दीवान का इंतजार कर रहा था। दीवान ने गड़रिया को राजा के सामने पेश किया । गड़रिया ने आँखे उठा कर राजाकी और देखा । राजा ने अपनी एक ऊँगली उपर उठाई । इसके जवाब मे गड़रिया ने दो उंगली उप्पर उठाई । पर राजा ने अपनी तीन उंगलियाँ उप्पर उठाई । यह देख कर गड़रिया ने सर हिलाया और भागने कि चेष्टा कि। राजा जोर से हंसा । ऐसा चतुर आदमी लाने के लिए उसने दीवान कि पीठ ठोकी और उसे पुरुस्कारों से लाद दिया ।
दीवान चित्र्वत देखता रह गया । यह गोरखधंधा उसके पल्ले नही पड़ा । उसने राजा से खुलासा करने का आग्रह किया।
राजन कहा, " एक ऊँगली उठा कर मैंने उससे पूछा कि क्या मे सबसे शक्तिशाली हूँ । दो उंगलियाँ उठा कर उसने मुझे याद दिलाया कि भगवन भी तो है जो मेरे बराबर शक्तिशाली है । तब मैंने पूछा कि क्या कोई तीसरा भी है । पर उसने सर हिला कर साफ मना कर दिया । इस आदमी ने सचमुच मेरे मन कि बात ताड़ ली । में सोचता था कि में ही अकेला शक्तिशाली हूँ । इसने मुझे भगवान के अस्तित्व कि याद दिलाई , परतीसरे कि संभावना को नही माना । "
दरबार बर्खास्त हुआ । सब अपने अपने रस्ते लगे । रात को दीवान ने मूढ़ गदरिया से पूछा कि उसने राजा के इशारों का क्या मतलब निकाला और उसने राजा को क्या जवाब दिया। गद्दरीया ने कहा , " मालिक , मेरे पास सिर्फ़ तीन भेड़े हें । जब आप मुझे महाराज के पास ले गए तो उन्होंने मुझे एक ऊँगली दिखाए । यानि वे मेरी एक भेद लेना चाहते थे । वे इतने बड़े राजा ठहरे ! सो मैंने उन्हें दो भेदें देने चाही । इस पर उन्होंने तीन उँगलियाँ दिखाई यानि वे मेरी तीनो भेदें लेना चाहते थे । मुझे लगा यह ज्यादती है । सो मैंने वहां से भाग जाना चाहा । "

1 comment:

Blogger said...

Aaachi kahani hai. Like it.